श्री
कल्की अवतार
श्री कल्की के बारे में
बहुत लोग नही जानते। कल्की भगवान का अवतरण कलियुग के अन्त में होना तय है । उस समय
स्वर्ण जातियां अपनी गर्त में होंगी और पूरी धरा पर मल्लेच्छों एवं अधर्मियों का राज
होगा । श्री कल्की चौसंठ कलाओं से युक्त होंगे और जैसे श्री राम के अवतार के समय उनके
तीन अन्य भाई भी थे वैसे ही श्री अपने चार
भाईयों में सबसे छोटे होंगे।
“संतो को दुख हरणो
, हरणो भूमी को भार , कलियुग के अंत में होगा कल्की अवतार ।
दैत्य – दानवो को नाश
करने शांति-आनन्द की स्थापना को आयेंगे हरी दसवीं बार ।
बत्तिस हाथ लम्बों,
नमन चैतन्य पुरुष को, होगा ये निष्कलन्क अवतार॥
गंगा जमुना और सरस्वती
जब छोड धरा, जाये निज धाम ।
गौ माता भोजन बने,
बने ब्र्हामण दास छोड निज काम ।
राजा बने भक्षक नारी
करे चित्कार, ऐसे में आयेंगे धवल कल्की अवतार ।।
अधर्मी विचरे चहुं
ओर, धर्म कहे त्राही माम ।
धरा का हो वस्त्र हरण,
जल हो सोना, सूर्य बने अन्गार ।
वासना हो सर्वोपरी
स्वार्थ करे राज,
चौसंठ कलाओं से युक्त
तब हो हरी का कल्की अवतार ।।
वैष्णों देवी उनकी
शक्ति बने , ले ब्र्हाम्णों की सेना अपार ।
उत्तर, पूर्व, पच्छिम,
दक्षिण, मध्य, पर्वतों, कुश, नेपाल, चीन, युरोप,
तुशार …
क्रोध का कल्की के
धरा में मचे हाहाकार ।
सभी अधर्मियों का नाश
करने , लेंगे फ़िर हरी अवतार ।। “
भगवान
कल्की -
श्री हरी का निश्कलंक अवतार दुष्टो का नाश करने के लिये प्रकट होगा। कलियुग के अन्त समय में दसवां और आखिरी अवतार प्रकट होगा । आईये
जरा उनके बारें मे जानते है ।
श्री कल्की का जन्म भारत वर्ष में संभल नामक स्थान में होगा ।
परिवार -
ब्र्हामण परिवार मे जन्में श्री कल्की जी की माता का नाम सुमती और पिता विष्णुयश होगे। श्री
विष्णुयश स्वंभु मनु के अवतार होंगे । सुमंत, प्राग्य और कवि में सबसे छोटे होंगे ।श्री
कल्की के तीनो भाई भी दिव्य शक्तियों के अवतार ही होंगे। तीनों भाई कल्की का
साथ देंगे ।
समय आने पर उनकी दो पत्नियां होंगी । पद्मा और रमा ।पद्मा श्रीलंका
से होगी । पद्मा का जन्म पुरुष रूप में होगा जो बाद मे नारी में परिवर्तित होगी ।
पद्मा से विवाह के बाद ही कल्की सक्रिय होंगे ।
उनका अश्व सफ़ेद वर्ण का होगा जो की देवदत्त कहलायेगा।
उनके पुत्र होगे जय, विजय, मेघमाल और बलाहक ।
चौसंठ कलाओं से युक्त कल्की के गुरू श्री परशुराम बनेंगे । उन्हे
दिव्य हथियार शिक्षा पूर्ण होने पर मिलेंगे जिनको नन्दक, दारुक, शान्ग और कुमौदिकी के नाम से
जाना जायेगा । आदिनाथ शिव से उन्हे विषेश शस्त्र मिलेंगे । ये हथियार सदा उनके साथ
रहेंगे ।
उनका वाहन जयत्र और गारूडी है।
श्री कल्की से दिव्य गन्ध उत्पन्न होगी।
कल्की गौर वर्ण के होंगे पर क्रोध में काले रंग के हो जायेंगे। उन्हे पीला रंग पसंद
होगा और वो पीले वर्ण के वस्त्र पहनेंगे।
माना जाता है की कल्की अपनी ३२ वर्ष की आयु के बाद ही सक्रिय होंगे ।
कलियुग में अनेकों दुष्ट और राक्षसी शक्तियां पताल लोक से जाग्रत होंगी और धर्म का लगभग संपूर्ण नाश कर देंगी
। अनेकों अस्त्र शस्त्र बन जायेंगे जिनकी कल्पना भी आज का मानव नही कर सकता । ये काली
शक्तियां पूरी धरती पर अपना अधिकार बना लेंगी ।
कुछ ग्रंथो के अनुसार शैतानी
ताकतें मध्य एशिया में एकत्रित होना शुरू होंगी। वहां से धीरे धीरे वह पूरे विश्व में
फ़ैल जायेंगी। पूरे विश्व के मानवों को वह अपने वश में करने का कार्य करेंगी । समय के
साथ यह पूरे विश्व में त्राही त्राही मचा देंगी । कल्की के पूर्ण रूप में आने से पहले
खुद उच्च लोक के शैतान मानव रूप में प्रकट होंगे । उनकी सेनायें सभी ओर अपना विजय स्तंभ
फ़ैला देंगी ।
शारीरिक शक्ति से, धन की शक्ति से, चक्त्सिक एवं मशीन की शक्ति,
अध्यात्मिक और सत्ता की शक्ति से ये बहुत ही
बलवान हो जायेंगी । इनका सामना करना अत्यन्त दुश्कर कार्य होगा।
सभी काली शक्तियां ब्र्हामण जाती की दुश्मन बन जायेंगी और उसका
समूल नाश करने का प्र्यत्न करेंगी । कलियुग में ब्र्हामण जाति अनेकों कष्ट सहेगी और
लगभग मिट्टी में मिल जायेगी । बडे पैमाने
पर ब्र्हामण पलायन करेंगे और सदूर पहाडों में और गुफ़ाओं में या जमीन के नीचे बस जायेंगे
और अपनी व अपनी बहू-बेटी की इज्जत भी नही बचा सकेंगे ।भारत वर्ष ब्र्हामणों से रिक्त
हो जायेगा ।
किसी जानवर के शिकार की तरह ब्र्हामणों का शिकार करा जायेगा ।
स्वर्ण वर्ण के बाकी दो वर्ग भी अत्यचारों के शिकार होंगे । स्वर्ण जातियां विदेशों
मे पलायन कर जायेंगीं ।
धरा में अधर्म का राज हो जायेगा । सब तरफ़ डैकेती, लूट, ब्लातकार
का माहोल होगा।
कल्की अवतार से पहले अनेकों दिव्य शक्तियां भी धरती पर जन्म लेंगी
।ये सभी शक्तियां स्वर्ग लोक और अन्य उधर्व लोकों से होगी जो पताल की राक्षसी शक्तियों
के सामान ही शक्तिशाली होंगी। लगभग सभी शक्तियों का अवतरण ब्र्हामण कुल में होगा ।
श्री
वैष्णो देवी कल्की की शक्ति बनेंगी ।
उनकी विशाल सेना होगी जिसमे हज़ारों ब्र्हामण योद्धा होगे। कल्की हमेशा उन ब्र्हामणों से घिरे रहेगे । ये सभी जनेयु धारी ब्र्हामण पवित्र और आध्यात्मिक होगे । ये सभी ब्र्हामण बहुत शक्तिशाली, क्रूर होंगेऔर तलवार, चाकु, पुरानी
बन्दूक इत्यादी अस्त्रों से सुज्जित होंगे ।
ये विशाल सेना इतनी शक्तिशाली होगी की सभी अधर्मियों, काली शक्तियों और मल्लेच्छों का आसानी से सामना कर सकेगी। ये सेना पारम्परिक
हथियारों से युद्ध करेगी और मलेच्छों के आधुनिक हथियारों का मुकाबला करेगी। उनकी ये सेना चारो दिशाओं मे मार काट मचा देगी । समुद्र की लहरों की तरह
विनाश करते हुए ये सेना आगे बढेगी और खून की नदियां बहा देगी । यह क्रूर सेना किसी मे भी
दया नही करेगी । सबकी हत्या करती हुई आगे बढेगी । सिर्फ़ वही जीवित रहेगा जिसको
कल्कि जीवन दान देंगे ।
उत्तर दिशा, मध्य की जमीने, पर्वतों मे रहने वाले, पूर्व दिशा वाले, पश्चिम दिशा मे बसने वाले, दक्षिण, श्री लन्का, एशिया और यूरोप के पर्वतो मे बसने वाली गोरी जातिया (पह्लव), यादव, तुशार (तुर्की की जातिया), चीन, खश, शुलिक, नेपाल, विर्शल, मंगोल इत्यादी सभी जगह ब्र्हामणो की ये सेना अधर्मियो का सर्वनाश कर देगी। अधर्मी जान बचाने के लिये दया की
भीख मांगेगे पर यह सेना सबकी निर्मम हत्या कर देगी।
महाराज कल्की बहुत कम लोगो को जीवित रहने की इजाजत देगे। सभी अशुद्ध, जंगली, पापी, मल्लेच्छ इस सेना के आगे टिक नही पायेगे । कल्की की आन्धी सब पापियों को खत्म कर देगी और जिनको जीवित रहने की इजाजत मिलेगी उनके साथ कल्की और ये सेना सत्ययुग मे प्रवेष करेगी ।
धरती में मनुष्य बहुत
कम ही बचेंगे । धीरे-धीरे फ़िर से जल बढेगा और धरती में सतयुग का आगमन होगा ।
आदेश आदेश
गुरू गोरक्षनाथ जी को
आदेश
सद्गुरू योगी
योगेन्द्रनाथ जी को आदेश ।
शिव नाथ
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