Friday, 22 December 2017

दैनिक जिन्दगी के सहज पाप





दैनिक जिन्दगी में कई कार्य ऐसे है जो पाप के श्रेणी मे आते है और हमे अभास भी नही होता । आईये जानते है की ऐसे कौन से विचार और कर्म है जो पाप की श्रेणी में सहज ही आ जाते है और सुखी जीवन से इन्सान को वन्चित कर देते है।


१.     दूसरों के पति या पत्नी पर बुरी नजर रखना, या उसे पाने की इच्छा करना भी पाप की श्रेणी में रखा गया है।
२.     दूसरों का धन अपना बनाने की चाह रखना भी अक्षम्य अपराध और पाप है।
३.     किसी भोलेभाले और निरपराध इंसान को कष्ट देना, उसे नुकसान पहुंचाने, या धन-संपत्ति लूटने, उसके लिए बाधाएं पैदा करने की योजना बनाना या ऐसी सोच रखना भी घोर पाप के श्रेणी में आ जाता है ।  
४.     अच्छी बातें भूलकर बुरी राह को स्वयं चुनने वाले के पाप अक्षम्य होते हैं।


धर्म के अनुसार जिस प्रकार आप किसी का बुरा नहीं करने के बावजूद, उसके लिए बुरी सोच रखने के कारण भी पाप के हकदार और दंड की श्रेणी में आ जाते हैं, उसी प्रकार भले ही आपने अपने कार्य से किसी का बुरा ना किया हो, लेकिन आपकी बोली अक्षम्य पापों का हकदार भी बना सकती है। खासतौर से इन तीन हालातों में:


१.     किसी गर्भवती महिला या मासिक के दौरान किसी महिला को कटु वचन कहना या अपनी बातों से उनका दिल दुखाना अक्षम्य अपराध और पाप है।
२.     किसी के सम्मान को हानि पहुंचने की नीयत से झूठ बोलना छलकी श्रेणी में आता है और अक्षम्य पाप का भागीदार बनाता है।
३.     समाज में किसी के मान-सम्मान को हानि पहुंचाने की नीयत से या उसकी पीठ पीछे बातें करना या अफवाह फैलाना भी एक अक्षम्य पाप है।


आपकी सोच और बातों के अलावा आपके द्वारा जीवन में किए गए ये 5 कार्य भी आपको ऐसे ही पापों का भागी बना सकता है:

१.     धर्म अनुसार मना की गई चीजें खाना या धर्म के विपरीत कार्य करना किसी हाल में व्यक्ती के लिए स्वीकार्य नहीं होना चाहिए
२.     बच्चों, महिलाओं या किसी भी कमजोर जीव के खिलाफ हिंसा और असामाजिक कार्यों में लिप्तता मनुष्य को पाप का दोषी बनाता है।
३.     गलत तरीके से दूसरे की संपत्ति हड़पना, ब्राह्मण या मंदिर की चीजें चुराना या गलत तरीके से हथियाना भी आपको इस श्रेणी में लाता है।
४.     गुरु, माता-पिता, पत्नी या पूर्वजों का अपमान भी आपको भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।
५.     शराब पीना, गुरु की पत्नी के साथ संबंध बनाना, दान की हुई चीजें या धन वापस लेना महापाप माने जाते हैं



अतः इन कर्मों से बचे और सद्मार्ग पर पर चलते हुए सुखी जीवन व्यतीत करें । धर्म का मार्ग ही सुख का मार्ग है ।