कमल पुष्प और देवी-देवता
क्या आप जानते है की सारे हिन्दु देवी-देवता कमल के
पुष्प पर ही विराजमान क्यू है ।
या तो कमल पुष्प पर आसन है अन्यथा उसी पर खढे है ।
सारा हिन्दु धर्म ॠषि-मुनि जब
ग्रन्थ लिखने लगे तो उन्होने बहुत कुछ स्पष्ट ना लिख कर सांकेतिक भाषा का प्र्योग
करा । एक कारण यह भी था की सब इस ज्ञान को ना समझे ।
आइये पहले कमल
पुष्प और देवी-देवता का संबन्ध समझे।
मध्य लोक, जिसमे भुलोक, भूर्व लोक तथा स्वर्ग लोक तथा नीचे के
पताल लोक , वितल लोक और सुतल लोक समाहित है, यह छ् (६) लोकों
का समूह है।
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मध्य लोक
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भू लोक भुर्व लोक, स्वर्ग तथा पताल लोक, वितल लोक,
सुतल
लोक
भूत ,प्रेत , प्रमथ, पिशाच, किन्नर, गन्धर्व, सिद्ध, विद्याधर, मनुष्य, इत्यादी अल्प उमर वालो का वास ।
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त्रिलोकी
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भू लोक , भूर्व लोक , स्वर्ग लोक
पताल लोक, महाताल लोक, तलातल लोक
काम (वासना) ही गती देने वाली शक्ती है कर्म ही फ़ल है। जन्म और पुनर्जन्म
यहां की विषेशता है।
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यह सब लोक दूर से देखने मे कमल के पुष्प की आक्रिती
लेते है जिसमे भू लोक के सात द्वीप कमल की सात पंखुढिया लगती है । मेरू पर्वत बीचों
बीच कमल की आक्रिती की पूर्ती करता है । यानी की समस्त भुमण्डल एक कमल है और जो शक्ती
इस भुमण्डल के ऊपर है वह कमल पर विराजमान है । यानी की जो देवि-देवता समस्त भुमण्डल
से ऊपर है वह सांकेतिक रूप मे कमल पर विराजमान दर्शाये जाते है । यानी की राक्षसो,
मानवो और भूत प्रेतो, पिशाचों इत्यादी से ऊपर इनका स्थान है ।
आदेश आदेश
अलख निरंजन
गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश