रावण के
बारे में कुछ रोचक तथ्य
आदी शिव का महान भक्त रावण कई खूबियों का स्वमी था ।
रावण, आधा
ब्र्हामण आधा राक्षस – श्री ब्र्ह्मा जी का पड-पड पोता था । सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ , महापराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता ,प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था ।
रावण (लन्कनाथ) शंकर भगवान का बड़ा भक्त था। वह महा तेजस्वी, प्रतापी, पराक्रमी, रूपवान तथा विद्वान था। वाल्मीकि उसके गुणों को निष्पक्षता के साथ स्वीकार करते हुये उसे चारों वेदों का विश्वविख्यात ज्ञाता और महान विद्वान बताते हैं। वे अपने रामायण में हनुमान का रावण के दरबार में प्रवेश के समय लिखते हैं
अहो रूपमहो धैर्यमहोत्सवमहो द्युति:।
अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता॥
आगे वे लिखते हैं "रावण को देखते ही राम मुग्ध हो जाते हैं और कहते हैं कि रूप, सौन्दर्य, धैर्य, कान्ति तथा सर्वलक्षणयुक्त होने पर भी यदि इस रावण में अधर्म बलवान न होता तो यह देवलोक का भी स्वामी बन जाता।"
शिव तांडव स्तोत्र का रचियता रावण महान संगीतज्ञ था । रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिये अनोखी
वीणा की रचना करी और उसमें बजने वाले सुरों की भी ।
रावण ने सारे संस्कृत श्लोक और तन्त्र के मन्त्र तथा अन्य मन्त्रों की
काव्यात्मक रचना करके
छन्दबद्ध करा । आदी शिव ने उन सभी
मन्त्रों को जागृत करा और कुछ मन्त्र कीलक भी करे ।
आज जो भी मन्त्र (किसी भी देवि देवता के) हम पद्यात्मक रूप में हम पढ्ते है वो सब महान रावण की देन है ।
रावण एक सिद्ध था और सारे आध्यात्मिक ज्ञान का स्वामी भी । उसे
८४ सिद्धों मे से एक कहा जाता है । श्री हरी के साथ नौ (९) नाथ और चौरासि (८४)
सिद्ध इस चराचर जगत की रक्षा और पालन करते है । उन्ही चौरासी (८४) सिद्धो मे एक
रावण भी है ।
चार (४)
वेद और छेः (६) उपशिनद का ज्ञाता रावण कर्म-काण्ड में भी सिद्धस्त था (श्री राम ने सेतु
के बनाने से पहले पूजा का आयोजन करा था उस पूजा को करवाने वाला पुरोहित प्रकाण्ड ज्ञानी रावण ही था । विधी पूर्वक पूजन के बाद उसने श्री
राम को विजय होने का आशिर्वाद भी दिया था ।
इसके अलावा रावण ज्योतिष का भी महान ज्ञान रखता था । विष्व प्रसिद्ध लाल किताब रावण की ही लिखी हुई है । रावण सहिंता का लेखक भी रावण ही है ।
रावण वैद्य शिरोमणी की पदवी से भी सुशोभित था। आयुर्वेद और शल्य चकित्सा का महान जानकार
रावण इसी विषय में कई अनमोल पुस्तकों का रचियता भी है ।
नाडी परिक्षा (नाडी और ह्रिदय की धडकन से रोग की पहचान के बारे मे विस्तृत
जानकारी) , आर्क शास्त्र ( गंभीर रोगों
के लिये वनस्पती के अर्क से दवाईयां बनाने की विद्या) , अर्क परिक्षा (रसायन से
दवा बनाने की विद्या) , कुमार तन्त्र (स्त्री / बच्चा रोग की दवा) उद्दिसा चकित्सा , उडिया चकिस्ता
, वतिना प्रकरनय का लेखक
रावण ही है ।
रावण ने सिन्धुरम चकित्सा का अविष्कार करा (य़े दवा किसी भी जख्मी के घाव तुरन्त ही भर देती है)
हरिद्वार में
हर की पौडी भी रावणा की ही बनाई हुई है ।
रावण की गिनती महान शासकों मे होती है। उसकी प्रजा गरीबी से कोसों दूर थी । प्रजा
को कोई भय / रोग दर नही था । सभी बराबर थे और प्रसन्न रहते थे। सभी प्राकृतिक संस्धान उनके पास उपलब्ध थे । रावण के दुश्मन
उससे डरते थे। अपनी प्रजा का वह लोकप्रिय शासक था।
रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था इसलिये उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।
आदेश आदेश
गोरक्षनाथ जी को आदेश ।। सदगुरू जी को आदेश ।