Wednesday, 12 August 2015

उपवास की उचित विधी





हम अपने जीवन में अनेकों पाप कर्म करते है। ऐसे में उपवास प्रायश्चित का एक उचित मार्ग है किसी भी उपवास से पहले देव सम्मुख बैठ कर या सिर्फ़ देव का ध्यान करके अंजली मे जल धारण करे। मन ही मन अपना गोत्र , नाम और जो आप अपने बारे मे कह सके (जैसे पक्ष , इत्यादी) बोल कर उपवास का संकल्प करें साथ ही यह भी बोले की आप यह उपवास किस लिये कर रहे है और आप इस उपवास को किस तरह निभायेंगे (जैसे एक वक्त अनाज ग्रहण, जल का त्याग , खट्टे का त्याग या फ़िर फ़लाहार इत्यादी)
उचित तो यह ही है की उपवास का उद्देश्य प्र्याश्चित हो | फ़िर उसके बाद अपने संकल्प के अनुसार उपवास को निभायें
मन को पवित्र रखे और यह मान कर चले की जो भी होता है वह प्रभू की इच्छा से ही होता है। इससे मन की पवित्रता रहेगी
सारा दिन जप, किर्तन और भजन में बिताये कोई परोपकार हो सके तो जरूर करे किसी को प्रसन्न कर सके तो कोशिश जरूर करें याद रखे की आप का उपवास एक प्राश्चित है अपना व्यहार सिमित रखे और किसी का दिल ना दुखायें । किसी की देव कार्य में मदद करें ।हो सके तो दान भी करें ।
आदेश आदेश अलख निरंजन


आदेश आदेश
अलख निरंजन्

गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश