महाकाली कौन है, कौन है यह महा देवी
आदिकाल में
जब परमब्र्हम ने विस्तार की सोची तो आदी ब्र्हम
ने अपनी परा शक्ति अपने से अलग करा । परमब्र्हम आदी शिव ब्र्ह्माण्ड के विस्तार के
लिये जिस शक्ति को स्त्री स्वरूप प्रदान करा वही भगवती अम्बा के नाम से प्रसिद्ध हुई
।
आदी शिव ने अपने
बायें अंग मे अम्रित मला तो जो दिव पुरुष पैदा हुआ वही श्री हरी विष्णु के नाम से प्रसिद्ध
हुए । सह्स्त्र वर्षो की तपस्या के बाद निद्रा मग्न हो तो इसी आदी शिव शक्ति ने उन्हे
सुला दिया और इसी शक्ति की ब्र्ह्मा जी ने सर्वप्रथम स्तुती करे ।
इसी शक्ति ने जब दुर्गम असुर का वध करा तो यही दुर्गा
के नाम से प्रसिद्ध हुई । भगवती अम्बा ही कभी सोलह हाथ , कभी बारह , कभी आठ और कभी
चार भुजाओं वाली देवी के नाम से पूजी गयी ।
इनका स्वरूप भी आदिनाथ की ही तरह है । तीन
नेत्र , त्रिशूल और घने खुले केश ।
सती और पार्वती, देवी अम्बा नही है ।
अम्बा आदी शक्ति है । यही चन्डी और कभी चामुन्डा
बनी । इसी देवी को माहाकाली (महाकाल के संगिनी) कहा गया ।
(हर कल्प में ब्र्ह्मा जी आदी शिव [परम ब्र्हम]
का ध्यान करते हैं । शिव उन्हे जिस रंग और रूप में दर्शन देते है , कल्प का नाम उसी
बात में निर्भर करता है )
श्वेतवाराह
कल्प में महा काल ने ब्र्हमा जी के माध्यम से अवतरित होकर शरीर धारण करा पर अम्बा सिर्फ़
शक्ति बन कर शिव के ओज़ में रही। सती हत्या के बाद शिव के क्रोध के कारण वीरभद्र और
महाकाली प्रकट हुई और अपना कार्य करने के बाद फ़िर शिव में विलीन हो गयी।
असल में महाकाली
(या अम्बा) शिव या महाकाल की कुण्डिलिनी शक्ति
है । महाकाल की अनेकों शक्तियों मे एक उग्र शक्ति महकाली और चण्डी है । यह कालिका और चण्डिका के नाम से भी प्रसिद्ध
है । यह शक्ति सदा से है और सदा ही रहेगी ।
जब मां पार्वती
ने जब शिव की संगिनी बनने का निश्चिय करा तभी
से महाकाल ने अपनी इस शक्ति के लिये शरीर ढूंड लिया । उन्होने मां पार्वती से कठिन
तपस्या करवाई । तन्त्र सिखाया । मां पार्वती को कई जन्म लेने पडे शिव की शक्ति को धारण
करने के लिये । अन्त मे जब मां पार्वती का शरीर और आध्यात्मिकता चरम में पहुंच गयी
तो उन्होने शिव की पहली उग्र और तमस शक्ति को धारण करा (महाकाली) ।
उसके बाद शिव
ने वर्षों लगाये मां पार्वती को इस शक्ति को वश मे रखना सिखाने के लिये । इसके बाद
महादेव ने अपनी नौ और शक्तियां मां पार्वती को धारण करना सिखाया ।
माहाकाली (अम्बा)
को मां पार्वती का शरीर मिला और मां पार्वती उनको वश में रखना सीख गयी । इसिलिये मां
पार्वती ही महाकाली के नाम ने प्रसिद्ध हुई ।
मां पार्वती ही दुर्गा, शाकम्भरी , काली,
कालरात्री , जयन्ती, मंगला , भद्रकाली , कपालिनी
इत्यादी के नाम से प्रसिद्ध हुई ।
यही देवी बगुलामुखी
, तारा , अन्न्पुर्णा, शिवा, क्षमा , धात्रि, स्वहा और अन्य नामों से भी पूजी गयी ।
आदी नाथ जी के अवतार और उनकी शक्ति या कुण्डलीनी शक्ति
महाकाल ---- शक्ति है महाकाली
तर ----- शक्ति
है तारा
भुवनेश्वर शक्ति है भुवनेश्वरी
शोडष शक्ति है शोडषी
भैरव शक्ति है भैरवी
छिन्नमस्तक शक्ति है छिन्नमस्तका
धूमावन शक्ति है धूमावती
बगलामुख शक्ति है बगलामुखी
मतंग शक्ति है मातंगी
कमल शक्ति है कमला
पर याद रहे की तारा, काली पहले
से ही थी । यही अम्बा है और परा शक्ति है । यह सब नाथ जी की शक्तियां है । अम्बा और
शिव पूर्ण ब्र्हम है । पार्वती ही शिव के साथ चरम शक्ति है ।
(Mahakali)
आदेश आदेश
नाथ जी को आदेश