किसी भी विचारधारा / पन्थ / धर्म को जीवित रखने और
उसका विस्तार करने के लिये चार स्तम्भ होने जरूरी है ।
आज हम हिन्दु धर्म
की बात करेंगे ………..
१. समाज, समय और
परिस्थिती के अनुसार उसमें ठोडा लचीलापन होना चाहिये।
- हिन्दु धर्म लचीला है । समय के साथ इस धर्म ने अपने को लचीला बनाया
है ।
२. लोगो का समूह जो इसमे आस्था
रखे और इसकी परम्परायें निभाये । जो मन्दिर जाये , त्योहार मनाये और आस्था रखें ।
- हिन्दू धर्म में यह स्तम्भ भी अभी जीवित है । हिन्दु व्रत रखते है, भण्डारें लगाते है , मन्दिर में
श्रद्धा से जाते है और निज त्योहार भी मनाते है ।
अपने धर्म के चिन्न्हों को सम्मान से
देखते है । (साधु , ब्र्हामण
, स्वस्तिक , अपने देवि देवता के चित्र और मूर्तियां
और उनसे जुडे धार्मिक चिन्न्ह का अपमान नही करते)
३. वो लोगो का समुह जो सामर्थ्यवान
है और धन से, अपने सामर्थ्य से और शक्ती से धर्म को बल दे । अगर धन नही दे सकता तो सेवा
से अपने धर्म को जीवित रखने का प्र्यास करे ।
- हिन्दू धर्म में यह स्तम्भ कमज़ोर हो चुका है । बहुत कम लोग धन (दान) देना पसन्द करते है । सेवा
और शरीर कर्म भी स्मर्पित नही करना चाहते । खुद तो कुछ करते नही और दूसरे लोगो को भी
रोकने का प्र्यास करते है ।
४. वह समूह जो विद्वान है और
अपने धर्म के समर्थन मे लिखता है और अपने धर्म से लोगो को परीचित करवाता है । अपनी
प्रथाओं का उचित तरह से पालन करवाता है । लोगो को अपने धर्म की अच्छी बाते बताता है
और स्व धर्म से गर्व करना सिखाता है ।
- हिन्दु धर्म में यह स्तम्भ पूरी तरह धव्सत हो चुका है । बल्की यही लोग
हिन्दु धर्म का मज़ाक उडाते है और बाकी स्तम्भो को शर्मिन्दा करते है । लोगो से अपील
करते है की दान मत दो । मन्दिर मत जाओ । तुम्हारे त्योहार शर्मिन्दा होने के कारण है … इन्हे मत मनाओ। इत्यादी ।
मेरे हिन्दु भाईयो जागो । अपने धर्म के बारे मे जानकारी
लो….अपने बच्चो को सिखाओ और अगर कोई इसका तिरस्कार करे तो उसे उचित जवाब दो । हम
एक ही है । हम से अनेक गुरू निकले है और अनेक अवतार । योग , ध्यान
, किर्तन , कला , कर्म काण्ड
, जप और हवन …हमारे ही अन्ग है ।हम नाथ है
, हम ही सिख , हम अघोरी भी है और शैव-वैष्ण्व भी हम ही है । हम लोग ही जंगम – लिन्ग्यात है
और हम लोग ही गुग्गा पीर है ।
आज हिन्दु धर्म सिर्फ़
दो स्तम्भों के सहारे ही खडा है । अगर येह दो स्तम्भ भी गिर गये तो हिन्दु खत्म हो
जायेगा ।