हम अपने जीवन में अनेकों पाप कर्म करते है। ऐसे में उपवास प्रायश्चित का एक उचित मार्ग है । किसी भी उपवास से पहले देव सम्मुख बैठ कर या सिर्फ़ देव का ध्यान करके अंजली मे जल धारण करे। मन ही मन अपना गोत्र , नाम और जो आप अपने बारे मे कह सके (जैसे पक्ष , इत्यादी) बोल कर उपवास का संकल्प करें । साथ ही यह भी बोले की आप यह उपवास किस लिये कर रहे है और आप इस उपवास को किस तरह निभायेंगे (जैसे एक वक्त अनाज ग्रहण, जल का त्याग , खट्टे का त्याग या फ़िर फ़लाहार इत्यादी) ।
उचित तो यह ही है की उपवास का उद्देश्य प्र्याश्चित हो | फ़िर उसके बाद अपने संकल्प के अनुसार उपवास को निभायें ।
मन को पवित्र रखे और यह मान कर चले की जो भी होता है वह प्रभू की इच्छा से ही होता है। इससे मन की पवित्रता रहेगी ।
सारा दिन जप, किर्तन और भजन में बिताये । कोई परोपकार हो सके तो जरूर करे । किसी को प्रसन्न कर सके तो कोशिश जरूर करें । याद रखे की आप का उपवास एक प्राश्चित है । अपना व्यहार सिमित रखे और किसी का दिल ना दुखायें ।
किसी की देव कार्य में मदद करें ।हो सके तो दान भी करें ।
आदेश आदेश अलख निरंजन
आदेश आदेश
अलख निरंजन्
गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश
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