सभी हिन्दु धर्म के विरोधी क्यों
आदी काल में सभी बुरी और आसुरी शक्तियां आपस में लडती थी
पर हिन्दु का दमन करने के लिये सभी
एक हो जाती थी । पूरे समाज में सभी का दुश्मन हिन्दु ही रहता था । सभी हिन्दु देवि-देवता उनके दुश्मन थे ।
आज भी यही स्थिती है । सभी का दुश्मन सिर्फ़ हिन्दु है । कमाल की बात तो यह है
की कुछ हिन्दु ही अपने धर्म को नीच बताने
की कोशिश कर रहे है । चाहे भारत में मे देख लो या विश्वे मे अन्य कहीं । आईये जाने
इसका कारण क्या है ।
हिन्दु धर्म में सत गुण सबसे ज्यादा है । मंत्र, ध्यान, योग, हवन और पाठ सभी मिल कर वातावरण को सत तत्व से भर देतें है ।
इसके अलावा हिन्दु धर्म में आचरण, प्रथायें त्योहार,
और प्रेम सत तत्व को बल देता है । इससे शुभ और देव शक्तियां बलवान होती
है और पूरे ब्र्ह्माण्ड मे सत तत्व का प्राहाव कर देती है ।
ऐसा होने से तमस
शक्तियां बल हीन होकर बहुत निचले स्तर में पहुंच जाती है । आसुरी और काली (बुरी) शक्तियां बल-हीन होकर असाहय हो जाती है ।
सभी
आसुरी और काली शक्तियां हिन्दु धर्म के तेज को सह नही पाती और तडप
कर मृतप्राय हो जाती है । यह सभी आसुरी शक्तियां
(सभी प्रकार की) एक दूसरे के साथ तो रह सकती है
परन्तु सत गुण के बडने से परेशान हो जाती है ।
इसी
लिये इन सब के फ़लने फ़ूलने के लिये जरूरी है की सत गुण कम हो या ना ही हो । इन का
दुश्मन सत गुण ही है । और हिन्दु धर्म सत गुण को बल देता है । सिर्फ़
बल ही नही देता बल्कि तमस का नाश भी कर देता है ।
पर तमस या तमस गुणा क्या है ?
तमस अज्ञान का अंधकार है
। कौन सी बात अच्छी है और कौन सी बुरी ये
यथार्थ पता नहीं चलता और इस स्वभाव के व्यक्ति को ये जानने की जिज्ञासा भी नहीं
होती।
तमस एक शक्ति होती है जो कि अंधकार, मौत, विनाश और अज्ञानता, सुस्ती और प्रतिरोध
को बढ़ावा देती है। तमस -प्रभावित जीवन का परिणाम कर्म के अनुसार
अवगुण होता है; एक निम्न जीवन-रूप में पदावनति है।
एक तामसिक जीवन को आलस्य, लापरवाही, द्वेष, धोखाधड़ी, असंवेदनशीलता, आलोचना और गलती ढूंढना, कुंठा, लक्ष्यहीन जीवन, तार्किक सोच या
योजना की कमी और बहाने बनाना, द्वारा चिह्नित किया जाता है। तामसिक गतिविधियों
में ज्यादा खाना अधिक सोना और / या ड्रग्स और मदिरा का सेवन शामिल है। यह सबसे नकारात्मक गुण होता है ,
तमस सबसे निम्न, भारी, धीमी और सुस्त सबसे होता है (उदाहरण के लिए, पृथ्वी का एक पत्थर या गांठ). यह राजस की ऊर्जा और सत्त्व की
चमक से रहित होता है।
तमस का कभी भी तमस द्वारा विरोध नहीं
किया जा सकता है। इसका प्रतिरोध रजस (कार्रवाई) के माध्यम से किया जा सकता है और तमस
से सीधे सत्त्व में परिवर्तित करना और भी मुश्किल हो सकता है।
इसी लिये जो पथ तमस
का नाश करे वो उस शक्ति का दुश्मन है ।
हिन्दु धर्म इसका सबसे बडा दुश्मन है ।
हिन्दु धर्म में रज तत्व और सत तत्व को बल मि?ता
है और तमस को यह शक्तिहीन कर देता है ।
रजस गुण
इनमें रजस् मध्यम स्वभाव
है जिसके प्रधान होने पर व्यक्ति यथार्थ जानता तो है पर लौकिक सुखों की इच्छा के
कारण उपयुक्त समय उपयुक्त कार्य नहीं कर पाता है।
उदाहरणार्थ किसी व्यक्ति को पता
हो कि उसके बॉस ने किसी के साथ अन्याय किया हो लेकिन अपनी पदोन्नति के लोभ में वो
उसकी आलोचना या अपनी नाख़ुशी नहीं जताता है।
सत गुण
सत वो है जो उचित-अनुचित, अच्छा-बुरा और
सुख-दुख में भेद और परिमाण हर स्थिति में बता सके। सतोगुण के लोग इस ज्ञान से भरे
होते हैं कि किस स्थिति में क्या करना चाहिए और इस तरह उन्हें घबराहट नहीं होती क्योंकि
वे तत्वदर्शी होते हैं।
आदेश आदेश
गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश.
सद गुरू जी को आदेश
------ शिवनाथ
No comments:
Post a Comment