नक्षत्र
निर्णय करते है की आने वाले जन्म में इन्सान ने किन-किन कर्मों का भुगतान करना है ।
इन्ही कर्मों के भुगतान को हम भाग्य का नाम देते है । इसी को ज्योतिष प्राबध का नाम
देते है । लगभग सत्तर प्रतिशत इन्सान की जिन्दगी भाग्य के अधीन है और तीस प्रतिशत कर्म
के आधीन । इन्ही पिछले संचित कर्म के कारण नक्षत्र निर्णय करते है की इन्सान धरती के
किस कोने मे जन्म लेगा । कौन कौन रिश्तेदार बनेंगे और कौन कौन मित्र प्रेमी प्रेमिकायें
दम्पती गुरू इत्यादी ।
इन्सान
ने किस प्रकार के माहोल मे जीना है इसमे हमारी पिछली जन्म की वासनायें , इच्छायें लालच
इत्यादी अहम फ़ैसला लेती है ।ये सब हमारे कर्मों से जुड जाती है और हमारे प्रारब्ध मे
महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है । हमारा कोई भी विचार , लालच , इच्छा , वासना , व्यर्थ
नही जाती । यही हमारे सुख-दुख का निर्णय भी करते है । इसलिये हमे बहुत सावधानी से अपने
विचारो का चयन करना चाहिये ।
आदेश
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