Friday 11 December 2015

प्रचीन भारत और स्त्री




शोचन्ति जामयो यत्र विनशत्याशु तत्कुलं ।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा ॥ ------ मनुस्मृति

उस कुल का शीघ्र नाश हो जाता है जहां स्त्रियां दुख या अभाव के फ़लस्वरूप रोती-बिलखती रहती है ;

जिस कुल में स्त्रियां सुखी एवं संतुष्ट रहती हैं, वहां निरंतर प्रगती और समृद्धि होती है ।




भारत में ऐसी विचारधार होने के बावजूद स्त्री को कोख मे मारना, घरेलू हिंसा , दहेज की वजह से परेशान होना या फ़िर हत्या , छेडखानी , तथा अन्य तरह से प्रताढित होना सचमुच शर्म का विषय है । स्त्री अनेक प्रकार के अत्यचारों को सहन करती है जो की लज्जा का विषय है ।

क्यों हम अपने पुत्रों को हिन्दु धर्म से वंचित रखते है और हिन्दु संस्कारों को पनपने नही देते ।




क्यो हिन्दु धर्म को शिक्षा मे सम्मिलित करना एक अपराध समझा जाता है । अगर संस्कार देना शिक्षा का भगवाकरण है तो ऐसे भगवाकरण को कोटी कोटी प्रणाम

शिवनाथ   
आदेश आदेश
अलख निरंजन्

गुरू गोरक्षनाथ जी को आदेश

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